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कविता-- सिलसिले


कविता सिलसिला

 थमने का नाम नहीं कहते हैं उसे सिलसिले
 हवा पानी धूप गर्मी सब चलते है सिलसिले
 इस नश्वर दुनिया में भी होते हैं सिलसिले
जन्म मृत्यु के चक्र में भी लगते हैं सिलसिले।

***
सीमा...✍️
®©
#दैनिक प्रतियोगिता

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8 Comments

Swati chourasia

20-Sep-2022 07:48 PM

बहुत खूब 👌

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Suryansh

16-Sep-2022 07:33 AM

बहुत ही उम्दा और सशक्त रचना

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shweta soni

31-Aug-2022 11:57 AM

Behtarin rachana

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